श्री कैला मैय्या महाकाली मंदिर का 11वां वार्षिकोत्सव शुरू, कलश यात्रा के पश्चात शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा
मुकेश शर्मा (संवाददाता) ब्यावर/अजमेर—शहर के छावनी नृसिंहपुरा लिंक रोड सरस्वती कॉलोनी स्थित श्री कैला मैय्या महाकाली मंदिर का 11वां वार्षिकोत्सव बुधवार से शुरू हुआ। वार्षिकोत्सव शुभारंभ के मौके पर मंदिर परिसर में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा भी शुरू हुई। कथा शुभारंभ के मौके पर बुधवार सुबह कलश यात्रा निकाली गई।
सूरजपोल गेट बाहर स्थित श्री प्रसन्न गणपति मंदिर से शुरू हुई कलश यात्रा में विभिन्न रंगीन परिधानों में सजी-धजी महिलाओं मे सिर पर मंगल कलश धारण कर भाग लिया। बैड-बाजों के साथ निकाली गई शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। प्रसन्न गणपति मंदिर से शुरू हुई कलश यात्रा तेजा चौक, एकता सर्किल, अजमेरी गेट, भगत चौराहा, छावनी रोड़ से होते हुए सरस्वती नगर स्थित श्री कैला मैय्या महाकाली मंदिर पहुंची। कलश यात्रा में कथा वाचक संत पंडित विष्णदास महाराज ने भी शिरकत की। कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालु धर्म के जयकारें लगा रहे थे।
कलश यात्रा का भगत चौराहे पर ग्वाला समाज, छावनी माली समाज, छावनी रोड व्यापारी तथा डिग्गी चौक चौहान परिवार की और से फूलों से स्वागत करते हुए आइसक्रीम वितरित की। कलश यात्रा के मंदिर पहुंचने के बाद कलश स्थापना की गई। इसके बाद पंडित विष्णदास महाराज ने श्रीमद भागवत कथा का वाचन शुरू किया। कथा के प्रथम दिन संत ने भागवत महापुराण व भगवद गीता में भेद बताते हुए कहा कि गीता भगवान द्वारा किया गया उच्चारण है जबकि भागवत परमात्मा का ही साक्षात स्वरूप है। संत ने कहा कि काशी ज्ञान, अयोध्या त्याग, नेमिषारण्य तप और वृंदावन प्रेम की भूमि है।
उन्होंने प्रार्थना से समझाया कि सुख सर्वत्र व्याप्त है मगर सच्चा सुख केवल परमात्मा की शरण में ही मिलता है। परमात्मा के पास रहने वाला व्यक्ति हर वक्त प्रसन्न रहता है। यहीं उसे सुख, चैन और शांति मिलती है। परमात्मा जिसे अपना लेता है उसे कभी नहीं छोड़ता। कथा के दौरान श्री कैला मैय्या महाकाली मंदिर के मुख्य उपासक पहलवान लालाभाई ग्वाला, संरक्षक खेमचंद सफा, रामकिशोर कच्छावा, पन्नालाल, बाबूलाल, राजेन्द्र मित्तल, डॉ. केएल अहीर, रमेशचंद्र चौहान, अशोक सक्सैना, मोहनलाल, मुन्नलाल, सेवाराम, मुकेश चौहान, कमल चौहान सहित बड़ी संख्या में पुरूष तथा महिला श्रद्धालु उपस्थित थे।
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