जयपुर। सीए शंकर अग्रवाल एवं आर्थिक विशेषज्ञ का कहना है कि एनडीए-2 का पहला बजट सरकार की पांच वर्ष की योजनाओं का बजट है। यद्यपि बजट वार्षिक होता है लेकिन वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट में प्रत्येक योजनायें चाहे वह किसान विकास की हो, शहरी क्षेत्र की, विद्युत एवं जल अथवा गरीबों को आवास उपलब्ध कराने की, प्रत्येक योजनायें सरकार के आगामी पांच वर्ष की योजनाओं का रोडमैप है। देश को विकास की दिशा में ले जाने वाला कदम है।
आन्तरिक बजट एवं पूर्ण बजट के प्रावधानों पर नजर डाले तो चाणक्य के अर्थशास्त्र का सूत्र स्मरण में आ जाता है। अमीरों पर कर लगाना व गरीब के कल्याण के लिये कार्य करना यही मंत्र इस बजट से निकलकर आता है। सरकार ने बड़े कर दाताओं पर 3 से 7 प्रतिषत तक उपकर लगाया है, साथ ही एक करोड़ से अधिक नकदी बैंक से निकासी पर 2 प्रतिशत टीडीएस लगाया है। वहीं मध्यम वर्ग को 5 लाख तक की आय में छूट के साथ आवास खरीदने पर ऋण लेने पर दो लाख की छूट को बढ़ाकर 3.50 लाख कर आम जनता को राहत देने का प्रयास किया है।
व्यापारी वर्ग अथवा बडी कम्पनियो के लिये 250 करोड़ से बढाकर 400 करोड़ तक की बिक्री तक 25 प्रतिशत कर से 99.3 कम्पनियां इस दायरे में आ जायेगी, जिसका अप्रत्यक्ष लाभ जनता को मिलेगा। छोटे व्यापारी के लिये नई पेंषन योजना एवं ऋण योजना निष्चित ही मध्यम वर्ग के लिये लाभकारी सिद्ध होगी।
सरकारी प्रयासों का एक सफल प्रयास इस बजट में झलकता है कि बैंकों के एनपीए में 1.00 लाख करोड़ की कमी एवं 4.00 लाख करोड़ के कर्ज की वसूली निश्चित ही बैंकों की दशा सुधारने की दिषा में बड़ा कदम है।
लघु उद्योगों को एक करोड़ तक के ऋण एवं ब्याज में छूट के लिए 350 करोड़ का प्रावधान भी लघु उद्योगों कोे राहत देने वाला कदम है। महिला सशक्तिकरण पर भी सरकार ने कुछ सराहनीय कदम उठाये हैं। मोदी सरकार का दृष्टिकोण बड़ा एवं भविष्य निर्माण का आईना है। भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रीलियन डाॅलर तक ले जाने को संकल्प इस बात का प्रमाण है।
सरकार ने अपने बजट में सभी वर्गों के लिये कुछ करने व राहत देने का प्रयास किया है। इसके बाद भी बढ़ता विदेषी व्यापार घाटा, राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण जीडीपी का 7 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करना, बेरोजगारी, नये उद्योगों की स्थापना, जीएसटी को तर्कसंगत बनाना, किसान की हालत में सुधार आदि चुनौती भरे कदम हैं।
एनडीए सरकार को पहले बजट से आगामी पांच वर्ष तक इन समस्याओं से रूबरू होना पड़ेगा व सरकार किस तरह से इन सब विषयों पर नियंत्रण कर पायेगी, यह आने वाला वक्त ही बतायेगा।
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