तो वहीं डॉ. गौरीशंकर शर्मा, जीव प्रेमी मोहित शर्मा, किशोर सिंह हेमपाल, हप्पी, दिव्या शर्मा, वनकर्मी यादराम जाखड़, रमेश आदि ने भी कुएं के अन्दर नीचे उतरकर नील गाय के बच्चे का उपचार करवाया एवं उसे सुकुशल बाहर निकालकर नील गाय के पास बच्चे को छोड़ दिया.
भारद्वाज ने बताया कि कुएं में गिरने से नील गाय के बच्चे के मुंह में घाव हो गया था. जिससे रक्त बह रहा था उपचार के बाद नील गाय के बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार है। डॉ. गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि भारद्वाज का हाथ फ्रैक्चर होने के बाद भी कुएं में उतरकर नील गाय के बच्चे का उपचार किया. बता दें कि गोविंद भारद्वाज इससे पहले भी कई जीवों की जान बचा चुके हैं.
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