तो वहीं राजस्थान के (dgp) महानिदेशक पुलिस एमएल लाठर ने कहा है कि बढ़ते साइबर अपराध समाज और पुलिस के समक्ष निरन्तर चुनौती बनते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आमजन को ऑनलाईन बिहेवियर के बारे में जागरुक करने के साथ ही वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए साइबर लिटरेसी बढ़ाने की आवश्यकता है।
महानिदेशक पुलिस लाठर ने कहा कि आमजन को साइबर संबंधी कानून एवं साइबर अपराधों के बारे में अवगत कराने के साथ ही साइबर अपराधों से बचने के लिए अपनाई जाने वाली सावधानियों के बारे में अवगत कराने की आवश्यकता है। कोरोना काल के दौरान व्यापार, शिक्षा, भुगतान से लेकर अन्य गतिविधियों में इन्टरनेट का व्यापक रुप से उपयोग किया जा रहा है। साइबर अवेयरनैस कम होने पर आमजन साइबर क्रिमीनल के शिकार हो सकते हैं।
डीजीपी (dgp) लाठर ने बताया कि राजस्थान पुलिस ने महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्व होने वाले अपराधों की रोकथाम के बारे में एप बनाए हैं। इनके साथ ही बनाए गए राजस्थान सिटीजन व अन्य एप राजस्थान पुलिस की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं एवं आमजन इन्हें डाउनलोड कर इनका उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक जिले में साइबर यूनिट कार्य कर रही है एवं यह यूनिट 05 लाख रुपये तक की राषि के साइबर अपराधों के बारे में अनुसंधान करती है। इससे अधिक राषि के साइबर अपराधों का अनुसंधान एसओजी के तहत गठित साइबर थानों द्वारा किए जा रहे हैं।
इस दौरान अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एवं निदेशक आरपीए राजीव शर्मा ने साइबर सेफ्टी कैम्पेन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2020 में जारी रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराधों में 63 प्रतिशत की वृद्वि हुई है। वितीय मामलों में नुकसान के साथ ही डेटा चोरी होने से आमजन की निजता भी प्रभावित होती है। साइबर अपराधियों की पहचान करना चुनौतीपूर्ण कार्य है।
वेबीनार में यूनीसेफ के संजय निराला ने आम नागरिकों को साइबर सुरक्षा के सम्बन्ध में जागरुक करने के लिए व्यापक अभियान संचालित करने पर बल दिया। साइबर पीस फाउण्डेशन के विनीत कुमार ने बताया कि एक माह के इस कैम्पेन के दौरान अलग-अलग विषयों पर आठ वेबीनार आयोजित की जा रही हैं। वेबीनार में अति. महानिदेशक पुलिस, तकनीकी एवं दूरसंचार सुनील दत्त भी मौजूद रहे।
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