गहलोत सरकार के कुशासन में पुलिस तंत्र 'रक्षक' की बजाय 'भक्षक' की भूमिका में है- उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़
राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने सोमवार को जोधपुर में बाड़मेर जिले में भ्रष्टाचार की शिकायत करने पर बेखौफ बदमाशों के जानलेवा हमले का शिकार हुए व्हिसल ब्लोअर (RTI कार्यकर्ता) अमराराम गोदारा एवं उसके परिजनों से अस्पताल में मुलाकात कर कुशलक्षेम पूछी तथा गहलोत सरकार से हमले के दोषी मुख्य अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार करने व व्हिसल ब्लोअर, RTI व सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया करने के लिए त्वरित कदम उठाने की मांग की।
राठौड़ ने कहा कि 21 दिसंबर को बाड़मेर जिले में भष्टाचार व अवैध शराब बेचने की शिकायत करने पर बेखौफ बदमाशों ने अमराराम के साथ मानवीयता की सारी हदें पार करते हुए निर्ममतापूर्वक मारपीट की, पैरों में लोहे की कीलें ठोकी और फरार हो गए। दुर्भाग्य है कि 6 दिन बाद भी आज मुख्य साजिशकर्ता फरार है और पुलिस प्रशासन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार करने की बजाय अन्य को गिरफ्तार करके खुद की पीठ थपथपा रही है और मामले को रफा-दफा करने में लगी हुई है।
राठौड़ ने कहा कि पुलिस व अपराधी के गठजोड़ के कारण व्हिसल ब्लोअर, आरटीआई कार्यकर्ता व सरकार के काले कारनामों का खुलासा करने वाले कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं है। राजस्थान में सूचना का अधिकार अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए,जनहित में सूचनाएं मांगने के लिए काम कर रहे RTI कार्यकर्ता पर अत्याचार का यह पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व वर्ष 2019 में बाड़मेर में ही पुलिस कस्टडी में आरटीआई कार्यकर्ता जगदीश गोलिया की मौत हुई थी। उस समय भी दोषी पुलिस अधिकारियों पर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करने नहीं किया गया था और मामले को दबाने की कोशिश की गई थी।
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार का जन घोषणा पत्र के पृष्ठ संख्या 36 के बिन्दु संख्या 28 में Zero Discretion, Zero Corruption & Zero Harassment के सिद्धांत पर कार्य करने का वादा धूलदर्शित साबित हो रहा है। वास्तविकता यह है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की सजा RTI कार्यकर्ताओं को जान देकर चुकानी पड़ रही है वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐसी विभत्स घटना पर छोटा मन रखते हुए महज 2 लाख रुपये देने की घोषणा की जो नाकाफी व अपर्याप्त है।
राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार के कुशासन में पुलिस तंत्र 'रक्षक' की बजाय 'भक्षक' की भूमिका में है। अगर पुलिस हिरासत में किसी व्यक्ति के साथ क्रूरतापूर्ण मारपीट करने या यातनाएं देने से व्यक्ति की मौत होती है तो ऐसे मामले खाकी के लिए तो शर्मसार है ही वरन् सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। हाल ही में लोहावट (जोधपुर) में राजू नायक की मौत के मामले में पुलिस प्रशासन की संदेहास्पद भूमिका सामने आ रही है वहीं उदयपुर में महिला को चौकी में रखकर दुष्कर्म का प्रयास व ज्यादती की घटना, खाकी को दागदार करने वाली है।
राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार के शासन में लचर कानून व्यवस्था की वजह से पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों पर हमले की वारदातें भी लगातार बढ़ रही है। भीलवाड़ा, करौली, धौलपुर, जयपुर, भरतपुर में पुलिस प्रशासन पर बजरी माफियाओं व बदमाशों द्वारा लगातार हमले किये जाने से पुलिस प्रशासन अपराधियों के समक्ष बौना साबित हो रहा है।
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