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राजेन्द्र राठौड़ ने कहा-"बालिकाओं के साथ दुर्व्यव्हार के लिए जिला कलेक्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए, अलवर गैंगरेप मामले की जांच CBI को सौंपी जानी चाहिए"

राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने वक्तव्य जारी कर कहा कि राजस्थान पुलिस के लिए शर्मसार होने वाली बात है कि अलवर में मूक-बधिर नाबालिग बालिका के साथ गैंगरेप के 3 दिन बाद भी दोषी पुलिस की गिरफ्त से दूर है और आजाद घूम रहे हैं। आज 3 दिन बाद भी पुलिस प्रशासन दरिंदों को पकड़ना तो दूर बल्कि उन्हें जुड़े अहम सुराग तक नहीं खोज पाई है।

राठौड़ ने कहा कि राजस्थान पुलिस मूक बधिर बालिका के साथ हुए जघन्य अपराध के मामले के रहस्य से पर्दा उठाने में विफल रही है कि आखिरकार इसके पीछे अपराधी कौन है ? गहलोत सरकार के शासन में देशभर में राजस्थान पुलिस नाकाम होने के लिए कुख्यात हो रही है। हैरानी की बात है कि जिस पुलिस प्रशासन को निर्भया जैसी हैवानियत वाले इस मामले में दोषियों को पकड़ने के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं होकर पूरा पुलिस व अन्य प्रशासनिक अमला कांग्रेस नेता श्रीमती प्रियंका गांधी के रणथंभौर दौरे को ऐतिहासिक बनाने व उसमें किसी प्रकार का खलल ना पड़े, इसमें ही जुटा रहा।

राठौड़ ने कहा कि एनसीआरबी के आंकडे चीख-चीख कर बयां कर रहे हैं कि राजस्थान पिछले 2 वर्षों से दुष्कर्म के मामलों में देशभर में पहले स्थान पर है और प्रदेश में प्रतिदिन 15 अबलाओं की इज्जत लूटी जा रही है। राजस्थान में रोजाना निर्भया कांड हो रहा है और पीड़िता न्याय नहीं मिलने की वजह से आत्महत्या करने को मजबूर है। राजस्थान पुलिस के डीजीपी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

राठौड़ ने कहा कि अलवर में जिला कलेक्टर द्वारा मूक-बधिर नाबालिग बालिका के साथ हुए गैंगरेप के मामले में ज्ञापन देने आयी छात्राओं के साथ जिस प्रकार का आचरण किया गया है वो अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण एवं अशोभनीय है। बालिकाओं के साथ दुर्व्यव्हार के लिए जिला कलेक्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना चाहिए और अलवर गैंगरेप मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए।

राठौड़ ने कहा कि भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है कि वह स्वतंत्रतापूर्वक अपने हक की बात कह सके लेकिन छात्राओं की मांगों को संवेदनशीलता के साथ सुनने की बजाय बच्चियों को धमकाया गया ताकि वह अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठा सके। जिले के सबसे बड़े जिम्मेदार अधिकारी से ऐसे व्यवहार की आशा कभी नहीं की जा सकती है।

राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार अलवर गैंगरेप के मामले में कुछ छिपाने का प्रयास कर रही है ताकि सच्चाई सबके सामने नहीं आ सके। दाल में कुछ काला अवश्य है। गहलोत सरकार के जंगलराज में बालिकाएं स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही है और घर से बाहर निकलने में भी घबरा रही है। अलवर में हुई निर्भया जैसी हैवानियत के खिलाफ कोई सरकार के खिलाफ आवाज ना उठाये इसलिए शासन में बैठे उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा सत्ता के इशारे पर बालिकाओं की मांगों को गंभीरता से नहीं लेकर उल्टे उन्हें ही धमकाया जा रहा है।

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