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मानव और मिट्टी की सेहत के लिए जैविक खेती ही बेहतर- राज्यपाल मिश्र

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने रासायनिक कीटनाशकों के मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए फसल कीटों और पादप रोगों पर नियन्त्रण के जैविक तरीके अपनाए जाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती ही कृषि से जुड़े संकटों का प्रभावी उपचार है, यह पर्यावरण अनुकूल होने के कारण मानव के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य की भी देखभाल करती है।

राज्यपाल मिश्र इण्डियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी के 75वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर में ‘पादप रोग विज्ञान: पुनर्निरीक्षण एवं संभावनाएं’ विषय पर बुधवार को आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को जैविक खेती के सरल, कम खर्च की विधियों को बढ़ावा देने पर कार्य करना चाहिए।  

राज्यपाल ने कहा कि पौध में हुई बीमारी बड़ी मानवीय त्रासदी को भी जन्म दे सकती है। वर्ष 1943 में बंगाल में चावल की फसल में हिलमेन्थोस्पूरियम लीफ स्पॉट बीमारी हो गयी थी। इससे लाखों हैक्टेयर क्षेत्र में चावल की फसल खत्म हो गई थी और भुखमरी की स्थिति पैदा हुई। इस घटना को आज भी ‘ग्रेट फैमिन ऑफ बगांल’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पादप रोगों के प्रभावी उपचार के लिए वृहद स्तर पर शोध कार्य होना चाहिए।

राज्यपाल मिश्र ने टमाटर, मिर्च, बीजीय मसालों, बाजरे जैसी राजस्थान की प्रमुख फसलों से जुड़े रोगों और उनके उपचार की प्रभावी शोध योजना बनाने का आह्वान राजस्थान के कृषि वैज्ञानिकों से किया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में हुए शोध कार्य का अधिकतम लाभ किसानों तक पहुंचे, इसके लिए प्रसार शिक्षा के तंत्र को भी और मजबूत करने की जरूरत है।

भारतीय वैज्ञानिक चयन मण्डल के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सी.डी. माई ने कहा कि मूंगफली, सरसों, सोयाबीन का प्रचुर उत्पादन होने के बावजूद देश को खाद्य तेलों का बड़ी मात्रा में आयात करना पड़ रहा है। उन्होंने खाद्य तेल उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इन फसलों की बीमारियों पर बड़े स्तर पर शोध कार्य की आवश्यकता जताई। 

कुलाधिपति ने इस अवसर पर प्रख्यात कृषि वैजानिक डॉ. धर्मवीर सिंह को डॉ. ए.पी. मिश्रा लाइफटाइम एचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने श्री कर्ण नरेन्द्र विश्वविद्यालय, जोबनेर तथा इण्डियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी  के प्रकाशनों का लोकार्पण भी किया । 

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जीत सिंह सन्धू ने स्वागत उद्‌बोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र में नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पादप रोग विज्ञान में शोध कार्य की गति को और बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए विश्वविद्यालय में डिजिटल नवाचारों पर फोकस किया जा रहा है। 

इण्डियन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. प्रतिभा शर्मा ने पादप रोग विशेषज्ञों की इस संस्था के उद्देश्यों और कार्य के बारे में जानकारी दी। 

कुलाधिपति कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय में वर्चुअल स्मार्ट क्लासरूम का निरीक्षण कर कृषि अभियांत्रिकी संकाय के छात्र-छात्राओं से संवाद किया। उन्होंने कृषि महाविद्यालय लालसोट के विद्यार्थियों से वर्चुअल माध्यम से बातचीत कर कोविड काल में हुए ऑनलाइन शिक्षण के बारे में जानकारी ली। 

राज्यपाल ने कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाले प्याज के बीज की किस्म 'राजस्थान प्याज-1' का अवलोकन भी किया। इसके उपरान्त उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में वर्षा जल संग्रहण के लिए नवनिर्मित ग्यारह करोड़ लीटर क्षमता का तालाब ज्वाला सागर देखा। उन्होंने पौध जैव विविधता पार्क में वृक्षारोपण भी किया। 

इस दौरान जयपुर जिला कलक्टर श्री राजन विशाल, राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल, विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ. एम. एल. जाखड़ सहित वैज्ञानिकगण, कुलपतिगण एवं शिक्षाविद उपस्थित रहे।

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