पिछले तीन माह की अधिकतम विद्युत खपत 13 हजार 600 मेगावाट होने के बाद भी राज्य के शहरी क्षेत्र में एक घंटे से तीन घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 7 घंटे से 9 घंटे की घोषित/अघोषित बिजली कटौती कर राजस्थान को अंधकार में डूबा दिया है। तकनीकी व रखरखाव के नाम पर जानबुझकर निजी विद्युत उत्पादनकर्ताओं से महंगी बिजली खरीदने का षड़यंत्र राज्य सरकार एवं ऊर्जा विभाग में उच्च पदस्थ अधिकारी कर रहे हैं।
राठौड़ ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में राज्य के बाहर की निजी विद्युत उत्पादन कंपनियों से 12,470 करोड़ तथा वर्ष 2020-21 में 13 हजार 793 करोड़ रुपये की महंगी बिजली 5 रु 70 पैसे से लेकर 17 रु तक खरीदकर, राजस्थान की 1 करोड़ 52 लाख उपभोक्ताओं पर एक ओर अनावश्यक बोझ डाला वहीं दूसरी ओर महंगी बिजली खरीदने में जमकर चांदी कूटी गई।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 10 हजार मेगावाट के एमओयू सोलर एनर्जी व विंड एनर्जी जनरेट करने के लिए किये हैं, जिनमें से 7 हजार 700 मेगावाट का बिजली उत्पादन भी प्रारम्भ हो गया, इसमें कोयला खरीद निजी विदयुत उत्पादन कंपनी से महंगी विदयुत खरीद में संस्थागत भ्रष्टाचार होना संभव नहीं है, इसलिए राज्य सरकार जानबूझकर उत्पादन को प्रोत्साहित नहीं कर रही है।
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